सरस्वती विद्या मंदिर उ.मा.विद्यालय, केशव नगर मंदसौर (म.प्र.) 07422- 405520 ssmkn.7102@gmail.com

विद्यालय के बारे में

विद्यालय के बारे में अन्य हाइलाइट

विद्यालय भवन ९००० वर्ग फिट में बना है जिसमे ६००० वर्ग फिट में विद्यालय भवन निर्मित है व ३००० वर्ग फिट का मैदान है | विद्यालय २ पाली में संचालित होता है, प्रथम पाली में हाई स्कूल व हायर सेकंडरी की कक्षाएँ व द्वितीय पाली में अंकुर से अष्टम तक की कक्षाएँ संचालित होती है | विद्यालय की प्रथम पाली का समय प्रातः ७:२५ से दोप १२:४५ तक तथा द्वितीय पाली का समय दोप १२:३० से सायं ५

सांख्यिकी

1 कुल विद्यार्थी
1 छात्र
1 छात्राए
1 शिक्षक

हाईलाईट

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उद्देश्य

प्रकृति से परिचय संस्कारों का विकास आनंद की अनुभूति जीवन का अनुभव करना पांच तत्वों से विभिन्न क्षमताओं का विकास चरित्र निर्माण के गुणों का विकास घर परिवार व विद्यालय में संस्कारमय वातावरण निर्माण बालक की शारीरिक व मानसिक आवशयकताओ की संतुष्टि

अधोसंरचना

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भुमी

विद्यालय की कुल भुमी ९००० वर्ग फिट में बना है जिसमे ६००० वर्ग फिट में विद्यालय भवन निर्मित है व ३००० वर्ग फिट का मैदान है |

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कार्यालय

विद्यालय कार्यालय ४०० वर्ग फीट में में विद्यालय के मुख्य भाग में स्थित है |

भवन

६००० वर्ग फिट में विद्यालय भवन निर्मित है

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कक्ष

कुल कक्ष 18 कुल प्रसासनिक कक्ष 7 प्रयोगशाला कक्ष 4 पुस्तकालय कक्ष 1 हाल 3

मान्यता

सन्देश

अध्यक्ष का सन्देश

प्राचीन भारतीय विचारधारा के अनुसार शिक्षा भावी पीढ़ी में ज्ञान की उच्चतम शक्ति के रूप में प्रतिस्थापित करने का एक सशक्त माध्यम है, हमारे प्राचीन शिक्षा केन्द्रो ने गुरुकुल पद्धति के माध्यम से शिक्षा व संस्कारो के इस पवन कार्यों को प्रतिस्थापित किया | गुरु प्रकाश स्तम्भ के रूप में शिष्य की सुषुप्त ऊर्जा को प्रकाशित, पल्लवित व विकसित करता है | शिक्षा, संस्कार व अनुशाशन के संयोजन से तीर्थ राज बनजाते है| इसी कार्य को प्रभावी रूप से करने का सशक्त माधयम है सरस्वती शिशु मंदिर, ज्जिस्का ध्येय है " ऐसे बालको का निर्माण करना जिनके मुख पर आधा, शरीर में बल, मन में प्रचण्ड इच्छा शक्ति, बुद्धि  में पांडित्य, जीवन में सवालम्भन व अन्तः करण में लव कुश, ध्रुव, प्रह्लाद की जीवन गाथा अंकित हो तथा जो राष्ट्र निर्माण के लिए द्रढ़ संकल्पित हो |" इन्ही लक्ष्यों की पूर्ति हेतु संसथान अपनी प्रतिबद्धता दिद्ध करते हुए अपने गौरवशाली कीर्तिमान स्थापित करने में संलग्न हे | यह सबके लिए गर्व का विषय है |

प्राचार्य का सन्देश

शिक्षण, संस्कार एवं अनुशासन की त्रिवेणी कहे जाने वाला विद्या का यह मंदिर " सा विद्या या विमुक्तये " की अखंड ज्योति से प्रज्वलित है , ब्रह्म शब्द ॐ की ध्वनि जिस के कण कण को ऊर्जा से संचारित करता है ऐसे माँ शारदा के प्रांगण में जब नन्हे कदमों से बचपन प्रवेश करता है तो स्नेह, समर्पण, त्याग और ज्ञान से परिपूर्ण आचार्या उसके नन्हे हाथो को थामकर अभिभावकों में इस विश्वास का संचार करता है कि बचपन की इस कोरी स्लेट पर वह संस्कारों की ऐसी अमिट छाप छोड़ेगा जिससे एक ऐसे चरित्रवान युवा का निर्माण होगा जिसमे साहस, शौर्य, वीरता, संयम, शील, क्षमा, धैर्य के गुणों के साथ राष्ट्र प्रेम का भाव कूट कूट कर भरा होगा तथा जो अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी अडिग रहेगा। मारे देश के युवा सन्यासी स्वामी विवेकानंद जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व में भारत के अध्यात्म का परचम फहराया था उन्होंने भी तो ऐसे ही युवाओ के निर्माण का स्वप्न देखा था | उनके उसी स्वप्न को साकार करने को हम दृण संकल्पित हैं। भारत ही नहीं विश्व के कई देशो में भारतीयता के संस्कारो के रोपण का यह पुनीत कार्य शिशु मंदिरो के माध्यम से चल रहा है। आज इन्ही मंदिरो से संस्कारों की ज्योति को लेकर हमारे हजारों पूर्व छात्र विश्व के कोने कोने को प्रकाशित कर रहे है। आप अभिभावक माता - पिता भैया बहिन, समाज के श्रेष्ठजन, ध्येयनिष्ठ आचार्य सभी दृढ़ कदमो से सहगामी बने है उस पथ क जिस्पार चलकर माँ भारती पुनः विश्व सिंहासन पर आरूढ़ होगी और सर्वत्र भारत माता की जय का स्वर गूंजेगा....

अतिरिक्त

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सांस्कृतिक कार्यक्रम

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